सोहनलाल द्विवेदी
खड़ा हिमालय बता रहा है, डरो न आँधी पानी में,खड़े रहो अपने पथ पर, सब कठिनाई तूफानी में!
डिगो न अपने प्रण से तो –– सब कुछ पा सकते हो प्यारे!तुम भी ऊँचे हो सकते हो, छू सकते नभ के तारे!!
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