Tuesday, September 16, 2008

हिमालय

सोहनलाल द्विवेदी

खड़ा हिमालय बता रहा है, डरो न आँधी पानी में,
खड़े रहो अपने पथ पर, सब कठिनाई तूफानी में!

डिगो न अपने प्रण से तो –– सब कुछ पा सकते हो प्यारे!
तुम भी ऊँचे हो सकते हो, छू सकते नभ के तारे!!

अचल रहा जो अपने पथ पर, लाख मुसीबत आने में,
मिली सफलता जग में उसको, जीने में मर जाने में!

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