Tuesday, September 16, 2008

वीर तुम बढ़े चलो

-द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !


हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे

ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी स्र्के नहीं

वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !


सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो

तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं

वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !


प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो

सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो

वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !


एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए

मातृ भूमि के लिये पितृ भूमि के लिये

वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !


अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा

यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो

वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

No comments: